अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development)

अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development)
अभिवृद्धि व विकास

प्रिय पाठकों, आज हम आपके लिए लेकर आये है HTET/CTET से सम्बंधित अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी, इसमे 4 से 5 प्रश्न आपके HETT/CTET व TET से सम्बंधित एग्जाम में पूछे जाते है तो आइए पढ़ते है अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development) के बारे में विस्तारपूर्वक रोचक जानकारी

अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development)

अभिवृद्धि व विकास ये दोनों क्रियाए जन्मजात यानि गर्भ के समय से चलती रहती है और आखिरी समय तक चलती रहती है और विभिन्न अवस्थाओ मे से होकर गुजरती है जिनमे मनुष्य का मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और शारीरिक विकास होता है विकास के बारे मे जानने के लिए हमे सबसे पहले वृद्धि के बारे मे जानेंगे, तो आइए पढ़ते है वृद्धि क्या होती है और कैसे इसका विकास किया जा सकता है

वृद्धि

वृद्धि शब्द का प्रयोग व्यक्ति के शरीर, आकार, भार, लंबाई, चौड़ाई आदि के संदर्भ मे किया जाता है इसमे होने वाले परिवर्तन को नापा व तोला जा सकता है

दास के अनुसार: मनुष्य मे होने वाले जैविक परिवर्तन को वृद्धि कहते है

फ्रैंक के अनुसार: शरीर के किसी विशेष यंग मे जो परिवर्तन होता है उसे वृद्धि कहते है

एच वी मेडरिथ के अनुसार: वृद्धि व विकास के पाँच प्रकारों के अनुसार मनुष्य के आकार मे परिवर्तन लाना ही वृद्धि कहलाता है

  • आकार
  • संख्या
  • प्रकार
  • स्तिथि
  • सापेक्षिक आकार

विकास

विकास एक काफी व्यपक शब्द है जो परिपक्वता की और बढ़ने का कार्य करता है विकास एक प्रगतिशील प्रक्रिया है यह शरीर मे होने वाले परिरत्नों को व्यक्त करता है जैसे हड्डियों के आकार मे वृद्धि होना, इसीलिए विकास मे अभिवृद्धि का भाव सदैव निहित रहता है बालक के व्यक्तित्व की उन्नति के लिए इनका प्रयोग एक दूसरे के लिए करते है

हरलोक के अनुसार: यह वृद्धि तक सीमित नहीं है बल्कि यह परिपक्वता के लक्ष्य की ओर परिवर्तनों की एक प्रगतिशील प्रक्रिया है

वृद्धि व विकास

vridhi v vikas
वृद्धि व विकास

अभिवृद्धि व विकास मे अंतर

 

अंतर का आधारअभिवृद्धिविकास
अर्थवृद्धि का प्रयोग शारीरिक परिवर्तन के लिए किया जाता हैविकास शब्द का प्रयोग परिणात्मक व गुणात्मक दोनों परिवर्तन के लिए किया जाता है
निरन्तरतावृद्धि लगातार नहीं रहती एक निश्चित समय के बाद यह रुक जाती हैविकास कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है जो जन्म से लेकर मृत्य तक चलती है
संबंधकई बार वृद्धि विकास के बिना भी हो जाती है जैसे कोई बच्चा मोटा है तो जरूरी नहीं की उसकी कार्यकुशलता मे विकास होविकास भी वृद्धि के बिना हो सकता है जैसे कोई बालक शारीरिक रूप से नहीं बढ़ता लेकिन मानसिक व सामाजिक रूप से उसका विकास हो जाता है
परिणात्मक व गुणात्मकवृद्धि केवल परिणात्मक परिवर्तन से जुड़ी है जैसे आकार, भार, संख्या आदिविकास केवल गुणात्मक परिवर्तन से जुड़ा हुआ है जैसे मानसिक, सामाजिक, शारीरिक आदि
मापनवृद्धि की प्रत्यक्ष रूप से देखा जा सकता है जैसे बच्चे का कद मापनाविकास को केवल महसूस किया जा सकता है

बाल विकास की प्रमुख परिभाषाएं

सिगमण्ड फ्रायड के अनुसार: शिशुओं में काम प्रवृति की प्रबधलता पाई जाती है

वैलेन्टराइन के अनुसार: शैशवावस्था को सीखने का आदर्शकाल कहा है 

कॉल व बूस के अनुसार: बाल्यावस्था को जीवन का अनोखा काल कहा है

बालावयस्था
बाल विकास

रॉस के अनुसार: बाल्यावस्था को छद्म परिपक्वकता की अवस्था कहा है

किलपैट्रिक के अनुसार: बाल्यावस्था को प्रतिद्वन्द्वात्मक सामाजीकरण का काल कहा है

स्टेनले हॉल के अनुसार: किशोरावस्था को संघर्ष , तनाव , तूफान तथा झंझावात की अवस्था कहा है

किलपैट्रिक के अनुसार: किशोरावस्था को जीवन का सबसे कठिन कारण कहा है

गुडएनफ के अनुसार: व्यक्ति का जितना भी मानसिक विकास होता है, उसका आधा तीन वर्ष की आयु तक हो जाता है 

थॉर्नडाइक के अनुसार: तीन से छह वर्ष तक के बालक प्रायः अर्धस्वपनों की दशा में रहते हैं 

मनोसामाजिक विकास

सामाजिक विकास बालक का अर्जित लक्षण होता है समाज मे रहकर ही वह तौर तरीकों के बारे में जानता है मनुष्य का व्यवहार या व्यक्तित्व सामाजिक वातावरण पर ही निर्भर करता है

हरलोक के अनुसार: सामाजिक विकास सामाजिक संबधों में परिपक्वता लाने का काम करता है

सोरेंसन के अनुसार: सामाजिक वृद्धि व विकास से अभिप्राय है कि अपने के साथ व दुसरो के साथ भली भांति निर्वाह करने की योग्यता प्राप्त करना है

क्रो व क्रो के अनुसार: जब बच्चा 14 वर्ष की आयु में प्रवेश करता है तो उसके दृष्टिकोण में बल्कि सामाजिक सम्बन्धो में भी परिवर्तन आने लगता है

शिक्षा के संदर्भ में समाजीकरण, सामाजिक वातावरण में अनुकूलन व समायोजन है न कि सामाजिक मापदंडों की सदैव अनुपालना करना और समाज मे बड़ो का सम्मान करना और उसके रीति रिवाजो के अनुसार व्यवहार को ढालना

समाजीकरण के साधन

  • परिवार
  • विद्यालय
  • समाज
  • समुदाय
  • खेल वातावरण
  • सहयोगी
  • नैतिक समूह

एरिक्सन का मनोसामाजिक सिद्धान्त

यह एक चित्रकार और एक अहम मनोवैज्ञानिक थे इन्हें एक घर मे किसी बालक का चित्र बनवाने के लिए बुलाया गया था 1936 से 139 तक येल विश्विद्यालय में उप मनोवैज्ञानिक के रूप के कार्य किया और उसी समय TAT Fame के उपलब्धि प्राप्त की

मनोसामाजिक विकास की अवस्थाएं

  • विश्वास व अविश्वास
  • स्वायत्तता व शर्म
  • नेतृत्व व अपराध
  • अध्ववसाय व अधीनता
  • पहचान व भूमिका
  • घनिष्ठता व एकांत
  • उत्पादकता
  • अहम-अखंडता
  • समाजिक विकास

भाषा विकास

भाषा का विकास बौद्धिक विकास की सर्वाधिक उत्तम कसौटी माना जाता है प्रकति व पालन पोषण में भाषा की अहम भूमिका होती है क्योंकि भाषा ही वह संज्ञान है जो सही अर्थों में मनुष्य बनाती है

भाषा को समझने व बोलने के किये इसे निम्न भागो में विभाजित किया जाता है

बड़बड़ाना

इसे पूर्ण भाषायी व कूजन अवस्था भी कहा जाता है यह 3 महीने से 9 महीनों के बीच मे चलती है शुरू में बच्चा उ उ आ अ आदि प्रकार की ध्वनियों का प्रयोग करता है धीरे धीरे पांचवे महीने के बाद यह मा, बा चा, दा आदि प्रकार की ध्वनियां निकालता है

एकल शब्द

इसे होलोफेज अवस्था भी कहा जाता है इसमे 10 से लेकर 14 महीनों के बीच मे एक एक शब्द बोलना शुरू करता हक़ी और भाषा को तीव्र गति से सीखता है

द्वि शब्द

यह अवस्था 18 महीने से शुरू होकर 2 साल तक चलती है इसमें बालक एक सयुंक्त वाक्य या दो शब्दों को बोलना शुरु करता है

बहु शब्द

यह प्रक्रिया 2 वर्ष से शुरू हो जाती है हर वर्ष बालक नए शब्द सीखता है पांच वर्ष तक वह लगभग 1000 शब्द सीख लेता है

सीशोर के अनुसार भाषा का विकास

आयुशब्द
45500
59600
614000
721300
826300
934300

भाषा विकास को प्रभावित करने वाले कारक

स्वास्थ्य

जो बालक कम सुनते हौ उनका भाषा विकास रुक जाता है और स्वास्थ्य ठीक नही होने के कारण उन्हें अनुकरण के अवसर नही मिलते

हकलाना

यह वाणी का दोष है जो मानसिक अवस्था के कारण होता है

यौन

लडकिया लड़को की अपेक्षा अधिक शीघ्र ही ध्वनि सकेंत ग्रहण करती है क्योंकि इनका सम्बन्ध व समाजीकरण माता से अधिक होता है इसलिए इनकी भाषा मे अंतर आने लगता है

परिवार व समुदाय

पारिवारिक सम्बन्ध व समाज से भी भाषा के विकास को प्रभावित करते है कुछ भाषाएं हम परिवार व समाज मे रहकर ही सीख सकते है

विद्यालय

घर के बाद बालक की भाषा का विकास विद्यालय से होता है उसे समाजिक व आर्थिक परिस्थितियों का पता चलता है

भाषा विकास के सिद्धान्त

  • स्किनर का भाषार्जन सिद्धांत
  • जीन एटकिंसन का सिद्धान्त
  • विगोत्सकी का सामाजिक व सांस्कृतिक सिद्धान्त
  • नोम चॉम्स्की का LAD सिद्धान्त
  • डेविड क्रिस्टल का भाषार्जन सिद्धांत

भावात्मक या सवेंगात्मक विकास

सवेंग को (English)अंग्रेजी भाषा मे इमोशन कहते है इमोशन शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के Emovere शब्द से हुई है जिसका आर्यन होता है हिलाना, उत्पति करना, उतेजित करना व भड़क उठना आदि, व्यक्ति की उत्तेजित अवस्था को ही सवेंग कहा जाता है

सवेंग की परिभाषा

गेट्स के अनुसार: सवेंग वे घटनाक्रम है जिनमे मनुष्य अशान्त व उत्तेजित होता है

पी टी यंग के अनुसार:  सवेंग व्यक्ति का तीव्र मनोवैज्ञानिक उवद्र्व है जिनकी उत्त्पति मनोवैज्ञानिक कारणों से हुई है इनमे व्यवहार, चेतन व अनुभूति आदि क्रियाए शामिल होती है

मैकडुगल के अनुसार: सवेंग प्रवत्ति का हृदय है

रॉस के अनुसार: यह चेतन की वह व्यवस्था हक़ी जिसमे भावात्मक तत्व की प्रधानता है

जेम्स ड्रेवर के अनुसार: यह शरीर की वह व्यवस्था है जिसमे सांस लेने व नाड़ी, उत्तेजन, मानसिक दशा आदि की अनुभूति पर पर प्रभाव पड़ता है

ब्रिजेज के अनुसार: इसके अनुसार सवेंग का अध्ययन निम्न प्रकार से बताया है

आयुसवेंग
1 मासपीड़ा
3 मासक्रोध
4 मासपरेशानी
5 मासडर
10 मासप्रेम
15 मासईर्ष्या
2 वर्षखुशी

सवेंग के प्रकार

सकारात्मक सवेंग: इसे सूखकर सवेंग भी कहते है जैसे प्रेम, हर्ष ज़ उल्लास व आनंद

नकारात्मक सवेंग:  इन्हें दुखदायी व कष्ट सवेंग भी कहते है जैसे क्रोध, घृणा, इर्ष्या व भय आदि

सवेंग की विशेषताएं

  • शारीरिक परिवर्तन
  • अन्तर्मुखी
  • विस्थापित
  • विस्तृत सवेंग
  • भावनाएं
  • उत्तेजक
  • आंतरिक व बाह्य
  • बुद्धि व तर्क

सवेंग के नियंत्रण की विधि

  • प्रतिबंध विधि
  • पुरस्कार व दंड
  • स्वाधीन विधि
  • मार्गदर्शन विधि
  • मानसिक  व शारीरिक विधि
  • वांछिक वातावरण

अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development)

देखे बाल विकास की अवस्थाएं, प्रकार व कारक की पूरी जानकारी

बाल विकास एक नजर मे ( Child Development at a Glance)
बाल विकास एक नजर मे

 

प्रिय दोस्तो, हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह अभिवृद्धि व विकास ( Growth and Development) लेख आपके आने वाले HTET व CTET के एग्जाम के लिए सही लगा होगा, इससे सम्बंधित कोई प्रतिक्रिया व सुझाव देना चाहता है तो वो हमारे कॉमेंट के माध्यम से दे सकता है और जितना ही सके इस लेख आप शेयर कर सकते है

और अधिक जानकारी के लिए हमारे सोशल मीडिया ग्रुप टेलीग्राम से अवश्य जुड़े

5 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

3 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments