प्रिय पाठकों, आज हम आपके लिए लेकर आये है हरियाणा के प्रमुख युद्ध स्थल (Haryana Ke Famous Yudhsthal) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी, HSSC के सभी एग्जाम में से इनमे से 1 प्रश्न जरूर पूछा जाता है, अगर हरियाणा के प्रमुख युद्ध स्थल(Haryana Ke Famous Yudhsthal)से सम्बंधित कोई जानकारी रह जाती है तो आप कॉमेंट बॉक्स में सांझा लर सकते है
हरियाणा के प्रमुख युद्ध स्थल (Haryana ke Famous Yudhsthal)
जैसा कि आपको ज्ञात है हरियाणा के प्रमुख युद्ध स्थल मे से हरियाणा में महाभारत का युद्ध सबसे अधिक लोकप्रिय रहा है ऐसा माना
जाता है कि महाभारत का युद्ध करीब 900 वर्ष पहले लड़ा गया था यह युद्व कौरवों व पांडवो के बीच लड़ा गया था जिसमे पांडवों की विजयी हुई और कौरवों को हार का सामना करना पड़ा था महाभारत में इस युद्ध को धर्मयुद्ध कहा गया है, क्योंकि यह सत्य और न्याय के लिए लड़ा जाने वाला युद्ध था
यह युद्ध हरियाणा राज्य की धर्मनगरी जिसे कुरुक्षेत्र कहा जाता है लड़ा गया था इस युद्ध से संबंधित व महाभारत के 18 अध्याय की सारी जनक्री कुरुक्षेत्र के पैनोरमा मे विडियोग्राफी के रूप मे दर्शाया गया है
तो आइये पढ़ते है हरियाणा के प्रमुख युद्ध स्थल (Haryana ke Famous Yudhsthal) के बारे मेें, और देखते है हरियाणा राज्य में किस जिले में ओर किस स्थान पर युद्ध हुए है
कुरुक्षेत्र जिले के युद्धस्थल
कुरुक्षेत्र जिले में सबसे पहले 606 ईसवी में राज्यवर्द्धन ने कन्नौज पर हमला किया जिसमें उनकी मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई हर्षवर्द्धन थानेसर का राजा बना
उसके पश्चात 961- से 997 ईसवी में तोमर शासक गोपाल व चौहान नरेश सिंह राज के बीच युद्ध हुआ जिसमे तोमर शासक गोपाल को हार का सामना करना पड़ा जबकि चौहान नरेश की विजयी हुई
इसके पश्चात 1009 व 1014 ईसवी में महमूद गजनबी का थानेसर पर हमला किया वह सुबक्त्गीन का पुत्र था उसने भारत के ऊपर 17 बार आक्रमण किया उसका मुख्य उद्देश्य भारत की सम्पति को लूटना था
करनाल जिले के युद्ध स्थल
पहला युद्ध
यह युद्ध 1191 ईसवी में दिल्ली के शासक पृथ्वी राज चौहान व मोहम्मद गौरी के बीच हुआ था और यह युद्ध हरियाण के करनाल जिले से 15 किलोमीटर दूर तरावड़ी नामक स्थान पर हुआ था जिसमे पृथ्वीराज चौहान को विजय प्राप्त हुई
दूसरा युद्ध
यह युद्ध भी 1192 ईसवी में एक बार फिर दिल्ली के शासक पृथ्वी राज चौहान व मोहम्मद गौरी के बीच हुआ था जिसमे पृथ्वीराज चौहान को अपनी पिछली जीत का भ्रम था लेकिन मोहम्मद गौरी अपनी पिछली हर बदला लेकर अपन सैनिकों के साथ पूरे जोश सेे लड़ा जिसमे मोहम्मद गौरी की जीत हुई और पृथ्वीराज की हार हुई
तीसरा युद्ध
यह युद्ध 1215 से 1216 ईसवी में इल्तुतमिश व यल्दौज कुबाचा के बीच हुआ जिसमें कुबाचा को सिंधु नदी में डुबोकर मार डाला। यह युद्ध निर्णायक युद्ध था, जिसमें इल्तुतमिश की जीत हुई और उसने दिल्ली की गद्दी पर अपना अधिकार मजबूत कर लिया था
1739 ईसवी में राव बालकिशन व नादिरशाह के बीच युद्ध हुआ जिसमें नादिरशाह विजयी हुआ नादिरशाह फ़ारस का शासक था उसे ईरान का नेपोलियन भी कहा जाता है।
हिसार जिले के युद्धस्थल
1037 ईसवी में गजनवी के पौत्र मसूद ने हांसी पर हमला किया और उस हमले में वह मारा गया
उसके पश्चात 1151ईसवी में विग्रहराज-VI ने हांसी पर पूरी तरह कब्जा कर लिया था
तैमूर का आक्रमण
मेवातियों व बलबन के बीच युद्ध हुआ
1932 ईसवी में जटावा नाम के राजपूत के मध्य युद्ध हुआ
सिरसा जिले के युद्धस्थल
नवाब नूर मोहम्मद व अंग्रेजों के बीच युद्ध सन1857 मे हुआ था
भिवानी जिले के युद्धस्थल
जार्ज थामस व सिक्खों में 1798 ई. में संघर्ष हुआ था
झज्जर जिले कब युद्धस्थल
झज्जर जिले के नसीबपुर गाँव मे में अंग्रेजों व राव किशन गोपाल के साथ संघर्ष हुआ, जिसमे वे बड़े भाई राव रामलाल के साथ शहीद हुए. यह युद्ध 1857 ईस्वी मे हुआ था
महेन्द्रगढ़ जिले के युद्धस्थल
महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल में ओरंगजेब के विरुद्ध सतनामियों का विद्रोह 1672 ईस्वी मे हुआ था
रेवाड़ी जिले के युद्धस्थल
विग्रहराज चतुर्थ ने भादानकों पर 1151 ईस्वी में आक्रमण किया, जिसमे विग्रहराज चतुर्थ को विजयी प्राप्त मिली
नूंह (मेवात) जिले के युद्धस्थल
को बाबर और हसन खान के बीच 17 मार्च 1527 मे कडा मुकाबला हुआ जिसमे बाबर की विजय हुई और हसन खान को हार का सामना करना पड़ा
सन 1260ईस्वी मे बलबन मेवातियों के बीच युद्ध हुआ जिसमें बलबन विजयी रहे
पलवल जिले के युद्धस्थल
पलवल में जवाहर सिंह का अब्दाली के साथ युद्ध हुआ
फरीदाबाद जिले के युद्धस्थल
अब्दाली व मराठों के बीच 1754 ईस्वी मे युद्ध हुआ
गुरुग्राम जिले के युद्धस्थल
1192 ईस्वी में गवर्नर तेजपाल का अंग्रेजी सेना के साथ कडा मुकाबला हुआ
रोहतक जिले के युद्धस्थल
रोहतक जिले के में खरखौदा गाँव में अंग्रेज सैनिक हडसन व सूबेदार विरासत के बीच 1857 मे युद्ध हुआ
पानीपत जिले के युद्धस्थल
प्रथम युद्ध
यह युद्ध 21 अप्रैल 1526 मे हिंदुस्तान के सुल्तान इब्राहिम लोदी व बाबर के बीच पानीपत के मैदान में लड़ा गया था इस युद्ध पर इब्राहिम लोधी की हार हुई और बाबर की सेना ने लगभग 1 लाख सैनिकों को मार गिरने के बाद लोदी वंश के सल्तनत काल को समाप्त कर दिया गया पानीपत के प्रथम युद्ध के कारण भारत मे मुगल सम्राज्य की नींव रखी गई थी
दूसरा युद्ध
यह प्रसिद्ध युद्ध 5 नवंबर, 1556 हेमू विक्रमादित्य और अकबर के बीचपानीपत मे लड़ा गया, हेमू विक्रमादित्य रेवाड़ी जिले के रहने वाले थे और उतर भारत के राजा भी रह चुके है इस युद्ध में अकबर की सेना का नेतृत्व बैरम खान ने किया जिसमे अकबर व बैरम खान की जीत हुई और हेमू की हार हुई
तीसरा युद्ध
यह युद्ध अहमद शाह अब्दाली उर्फ दुर्रानी व मराठों के बीच में 14 जनवरी, 1761 को हुआ। इस युद्ध में मराठों की बुरी तरह से पराजय हुई और ऐसा माना जाता है की इस युद्ध मे दोनों सेनाओ के एक ही दिन मे बड़ी संख्या मे मौतें हुई थी
पानीपत की तीनों युद्ध मे पानीपत जिला कभी भी इस युद्ध का हिस्सा नहीं रहा और इस युद्ध का कारण बना
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