भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार के बारे में रोचक तथ्य व विजेता (India’s Highest Gallantry Award)

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भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार

प्रिय पाठकों, क्या आप जानते है कि भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार कौन-से हैं जो किसी सैनिक या असैनिक को उनके अदम्य साहस व वीरता भरे कार्य के लिए दिए जाते है।

आज हम सैनिक सर्वोच्च वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र, महावीर चक्र, वीर चक्र तथा असैनिक सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, शोर्य चक्र के बारे में विस्तार से पढ़ेंगे।

परमवीर चक्र सर्वोच्च वीरता पुरस्कार

परमवीर चक्र का शाब्दिक अर्थ है ‘वीरता का चक्र। संस्कृत के शब्द परम’, ‘वीर’ व ‘चक्र से मिलकर बना है। 

यह पदक युद्ध के दौरान वीरता के लिए दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है, जो थल सेना, जल सेना व वायु सेना के सैनिकों द्वारा दुश्मन के सामने बहादुरी के विशिष्ट कृत्यों को प्रदर्शित करने के लिए या आत्म-बलिदान के लिए दिया जाता है। परमवीर चक्र, सर्वोच्च वीरता पुरस्कार के रूप में मेजर सोमनाथ शर्मा (कुमाऊँ रेजीमेंट) को  पहली बार 3 नवम्बर, 1947 को दिया गया था।  

परमवीर चक्र की बनावट

यह पदक कांस्य का बना होता है। इस पदक का डिज़ाइन विदेशी मूल की एक महिला ने सन् 1950 में किया था।  तब से अब तक इसके मूल  स्वरूप में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है।

परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार 

परमवीर चक्र

 

इसके अगले भाग के मध्य में भारत का राजचिह्न अंकित है जिसके चारों ओर चार इंद्रवज्र अंकित होते है। तथा पिछले भाग पर हिन्दी व अंग्रेजी में परमवीर चक्र लिखा होता है। इसके साथ लगाए जाने वाले रिबन (फीता) का रंग बैंगनी होता है।

परमवीर चक्र विजेता

  • मेजर सोमनाथ शर्मा (कुमाऊँ रेजीमेंट) को 3 नवम्बर, 1947 को दिया गया।
  • लांस नायक करम सिंह (सिख रेजीमेंट) को 13 अक्तूबर,1948 को दिया गया। 
  • सेकेंड लेफ्टीनेंट राम राघोबा राणे (इंडियन कार्प्स आफ इंजिनयर्स) को 3 अप्रैल,1948 को दिया गया। 

 

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महावीर चक्र

महावीर चक्र भारत का दूसरा सर्वोच्य वीरता पुरस्कार है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को दुश्मन के सामने अपनी असाधारण वीरता प्रकट करने या बलिदान के लिए दिया जाता है। वरीयता क्रम में यह पदक परमवीर चक्र के बाद आता है। यह पदक मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।

महावीर चक्र पदक की बनावट

इस पदक का आकार गोल होता है। यह पदक स्टैंडर्ड चाँदी का बना होता है। इसका व्यास 1.38 इंच होता

महावीर चक्र भारत का सर्वोच्य पुरस्कार
महावीर चक्र

है।

अगला भाग 

इसके अग्रभाग पर पाँच कोनों वाला सितारा होता है। इस सितारे के बीच में राष्ट्रचिन्ह अंकित होता है।

पिछला भाग

पदक के पिछले भाग पर कमल के फूल तथा हिन्दी एवं अंग्रेजी में महावीर चक्र लिखा होता है।

महावीर चक्र का रिबन

महावीर चक्र के पदक के साथ लगने वाला रिबन या फीता दो रंग का होता है। आधा सफ़ेद और आधा नारंगी रंग का होता है।

महावीर चक्र विजेता

  • राजेन्द्र सिंह (जम्मू और कश्मीर स्टेट फोर्सेज) को 26 जनवरी, 1950 को दिया गया।
  • यदुनाथ सिंह (119वीं इन्फैन्ट्री ब्रिगेड) को 26 जनवरी, 1950 को दिया गया।
  • मोहम्मद उस्मान (50वीं पैरा ब्रिगेड) को 26 जनवरी,1950 को दिया गया।
  • आई जे एस बुतालिया (4डोगरा) को 26 जनवरी,1950 को दिया गया।
  • मन मोहन खन्ना (कुमाऊँ) को 26 जनवरी, 1950 को दिया गया।

वीर चक्र

वीर चक्र पुरस्कार तीसरा सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। यह पदक उन सैनिकों को दिया जाता है जो शत्रु के विरुद्ध अपनी असाधारण प्रतिभा प्रदर्शन करते हैं या अपना आत्म-बलिदान दे देते है।

इस पदक की स्थापना 26 जनवरी 1950 को की गई थी। यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। अब तक यह पदक 1322 वीरों को दिया जा चुका है,जिसमें अधिकतर व्यक्तियों को मरने के बाद दिया गया है। 

वीर चक्र पदक की बनावट

वीर चक्र पदक का आकार गोल होता है। यह पदक भी मानक चाँदी से बना होता है और इसके एक ओर सितारा अंकित होता है। इस सितारे के बीच राष्ट्र का प्रतीक (अशोक चक्र) बना होता है।

सितारा पॉलिश किया होता है और बीच का भाग स्वर्ण-कलई में है। इस पदक के पिछले भाग में दो कमल के फूल अंकित होते हैं और हिन्दी एवं अंग्रेजी में वीर चक्र अंकित होता है।

वीर चक्र
वीर चक्र

रिबन या फीता

वीर चक्र का फीता आधा नीला और आधा केसरी रंग का होता है।

वीर चक्र पुरस्कार की विशेषताएँ

यदि कोई वीर चक्र विजेता फिर से कोई वीरता का कार्य करता है, तो उसे दोबारा से इस पुरस्कार से पुरस्कृत किया जाता है और उसके मेडल में वीर चक्र का एक और फीता लगा दिया जाता है।

दोबारा वीर चक्र जीतने वाले विजेता को दोबारा पेंशन भी दी जाएगी। जैसे कि किसी एक  वीर चक्र विजेता को प्रति माह 7000 रुपए मिलते हैं,तो दोबारा पदक प्राप्त करने पर विजेता कि पेंशन दोगुनी हो जाएगी।

वीर चक्र विजेता

  • सोमनाथ शर्मा को वर्ष 1947 को दिया गया।
  • जदु नाथ सिंह को वर्ष 1948 को दिया गया।
  • योगेंद्र सिंह यादव को वर्ष 1999 को दिया गया।
  • संजय कुमार को वर्ष 1999 को दिया गया।

अशोक चक्र

अशोक चक्र भारत का शांति, वीरता, साहस और शौर्य के समय दिया जाने वाला सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। यह पदक थलसेना, नौ सेना और वायु सेना तीनों सेनाओं के लिए अलग-अलग देना सुनिश्चित किया गया है।  

यह पदक नागरिकों को जीवित या मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। इस पदक या पुरस्कार को देने का फैसला वीरता और विशिष्टता के आधार तय पर किया गया।

अशोक चक्र पदक की स्थापना

अशोक चक्र पुरस्कार की स्थापना 4 जनवरी,1952 को हुई,परन्तु इसे 15 अगस्त,1947 से ही प्रभावी माना गया।

अशोक चक्र पदक की बनावट

इस पदक का आकार गोल होता है। इसके दोनों तरफ रिमों के साथ व्यास 1.38 इंच होता है। बीच वाले भाग में स्वर्ण-कलई की होती है

अशोक चक्र
अशोक चक्र

अशोक चक्र पदक के अग्रभाग के बीच में अशोक चक्र की प्रतिकृति अंकित होती है और इसके चारों ओर कमल-माला लगी होती है।

इस पदक के पश्चभाग पर हिन्दी व अंग्रेजी के शब्दों में ‘अशोक चक्र अंकित होता है। इस पदक का डिज़ाइन श्रीमती सावित्री बाई खानोलकर ने तैयार किया था।

अशोक चक्र का रिबन या फीता

इस पदक का रिबन एक केसरी खड़ी लाइन, हरे रंग की पट्टी को दो बराबर भागों में बांटती है।

अशोक चक्र पुरस्कार की विशेषताएँ

अशोक चक्र पदक की मुख्य विशेषता यह है कि कोई आम आदमी भी इस पुरस्कार का पात्र बन सकता है। यह चक्र शांति के लिए दिया जाने वाला सबसे ऊँचा पुरस्कार है। अशोक चक्र राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किया जाता है।

अशोक चक्र पदक विजेता

  • सुहास बिस्वास (1952)।
  • बचित्तर सिंह (1952)।
  • नरबहादुर थापा (1952)।
  • नीरजा भटोन (1987)। ये भारत की प्रथम महिला अशोक चक्र पुरस्कार विजेता हैं।
  • हवलदार हंगपन दादा (2016)
  • ज्योति प्रकाश निराला (2017)।
  • नजीर अहमद वानी (2019)।

अशोक चक्र पुरस्कार विजेता को आर्थिक सम्मान या सहायता

अशोक चक्र विजेता को केंद्र सरकार द्वारा भत्ते के रूप में आर्थिक सम्मान या सहायता में प्रत्येक महीना 12,000रुपए की राशि दी जाती है तथा राज्य सरकार भी नकद पुरस्कार व अनेक सुविधाएं प्रदान करती हैं। भिन्न-भिन्न राज्यों की पुरस्कार राशि में भिन्नता होती है। जैसे हरियाणा सरकार विजेता को एक करोड़ की ईनाम राशि देती है जबकि दूसरे राज्यों में ये ईनाम राशि भिन्न-भिन्न होती है।   

कीर्ति चक्र

कीर्ति चक्र भारत का शांति के समय वीरता का पदक है। यह सम्मान सैनिकों और असैनिकों को असाधारण वीरता या बलिदान के लिए दिया जाता है।

यह पदक थलसेना, नौसेना व वायुसेना, किसी भी रिज़र्व सेना, प्रादेशिक सेना और अन्य कानूनी रूप से गठित सशस्त्र बलों के सभी रेंकों के अधिकारी और पुरुष व महिला सैनिक कोई भी अपनी वीरता का प्रदर्शन करते हैं, सभी इस पदक के पात्र होगें।  

कीर्ति चक्र की स्थापना

इस चक्र की शुरुआत शौर्य के कार्यों को सम्मानित करने के लिए 04 जनवरी,1952 को अशोक चक्र श्रेणी-2 के रूप में की गई, परंतु 27 जनवरी,1967 को इसका नाम बदलकर कीर्ति चक्र कर दिया गया। यह पदक मरणोपरांत भी दिया जा सकता है। वरीयता में यह महावीर चक्र के बाद आता है।    

कीर्ति चक्र की बनावट व रिबन

कीर्ति चक्र
कीर्ति चक्र

इस पदक का आकार गोल होता है और मानक चाँदी से निर्मित होता है। इसका व्यास 1.375 इंच होता है।

चक्र के अगले भाग के बीच में अशोक चक्र अंकित होता है और अशोक चक्र के चारों और कमल के फूल की बेल बनी होती है।

चक्र के पिछले भाग पर हिन्दी व अंग्रेजी में ‘कीर्ति चक्र बना होता है और इसके चारों ओर दो कमल के फूल हिन्दी व अंग्रेजी के शब्दों के बीच बने होते हैं।

रिबन व फीता

इस पदक का फीता हरे रंग का होता है, जिस पर नारंगी रंग की दो खड़ी रेखाएँ इसको तीन बराबर भागों बाँटती हैं।

कीर्ति चक्र विजेताओं के नाम

  • विनोद कुमार चौबे
  • कैप्टन दीपक शर्मा
  • राजेन्द्र बैनीवाल
  • रुखसाना कौसर

    शौर्य चक्र

    शौर्य चक्र
    शौर्य चक्र

    शौर्य चक्र भारत का शांति के समय दिया जाने वाला तीसरा सर्वोच्च पुरस्कार है। यह युद्ध के मैदान में सैनिकों व असैनिकों को अपनी वीरता या बलिदान का प्रदर्शन करने के लिए दिया जाता है।

    यह पुरस्कार तीनों सेनाओं (थलसेना, नौसेना व वायुसेना) के साथ-साथ रिजर्व बल, प्रादेशिक सेना रक्षक यौद्धा तथा सशस्त्र बल के सभी रेंकों के पुरुष या  महिला सैनिक कों ये पदक दिया जाता है। वरीयता क्रम में यह कीर्ति चक्र के बाद आता है। यह पदक मरणोपरांत भी दिया जा सकता है।

    शौर्य चक्र की स्थापना

    शौर्य चक्र की शुरुआत 04जनवरी,1952 को अशोक चक्र श्रेणी 3 के रूप में की गई। परंतु 27 जनवरी 1967 को इसका नाम बदलकर शौर्य चक्र कर दिया गया। यह पदक शौर्य के कारनामों के लिए दिया जाता है

    पदक की बनावट

    यह पदक गोलाकार होता है तथा कांसे से निर्मित होता है। इसका व्यास 1.38 इंच होता है। पदक के अग्रभाग के बीच में अशोक चक्र बना होता है और इसके बाहर सिरे समांतर और भीतर की तरफ से कमल के फूलों व पत्तियों का पटर्न बना होता है।

    इसके पृष्ठभाग पर हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में ‘शौर्य चक्र उत्कीर्ण होता है,जिसके बीच में दो कमल के फूल बने होते हैं।

    रिबन या फीता

    इस पदक का रिबन या फीता हरे रंग होता है,जिसको केसरिया रंग की तीन खड़ी रेखाएँइस रिबन को चार बराबर भागों में विभाजित करती है। 

    एक से अधिक बार मिलने पर

    अगर इस पदक को प्राप्त करने वाला कोई भी यौद्धा दोबारा से कोई वीरता या बहादुर कार्य का प्रदर्शन करता है तो,उसे पुनः इस सम्मान के योग्य समझा जाए तो बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए चक्र जिस फीते से लटका होता है, उसके साथ एक बार लगा दिया जाता है।

    यदि केवल फीता पहनना हो तो यह पदक जितनी बार प्रदान किया जाता है,उतनी बार के लिए फीते के साथ इसकी लघु प्रतिकृति लगाई जाती है।

    शौर्य चक्र विजेताओं के नाम

    • आशीष कुमार तिवारी
    • सिपाही कपिल देव
    • फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनीष अरोड़ा
    • मेजर मनीष बराल
    • मेजर दीपक यादव

     

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