प्रिय पाठकों आज हम लेकर आये है करनाल के तीर्थ स्थल/धार्मिक स्थल, जिससे आप पढ़ कर आने वाले एग्जाम की तैयारी कर सकते है यदि फिर भी करनाल के तीर्थ स्थल/धार्मिक स्थल में से कोई तीर्थ स्थल तरह जाता है तो आप कमेंट बॉक्स में हमारे साथ सांझा कर सकते है
करनाल जिला हरियाणा की युमना नदी कर किनारे बसा हुआ है यहां धान की खेती की जाती है इसलिये इसे धान का कटोरा भी कहते है यह धान विदेशों में भी निर्यात किया जाता है इस जिले में चर्च, मंदिर व झील है जो दर्शकों व पर्यटकों को काफी पसंद आते है
करनाल के तीर्थ स्थल/धार्मिक स्थल
महाभारत युद्ध के समय व प्राचीन काल से करनाल के तीर्थ स्थल बहुत प्रसिद्ध है तो आइये पढ़ते है करनाल जिले के तीर्थ स्थल व उनका महत्व
वेदवती तीर्थ
यह करनाल पेहोवा रोड पर सीतामाई मे स्थित है परराजा कुशध्वज की बेटी वेदवती के नाम पर इस तीर्थ स्थल का नाम रखा गया है और ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर सीता धरती में समाई गई थी
मिश्रक तीर्थ
यह करनाल जिले के निसंग गाँव मे स्थित है इस तीर्थ में महर्षि व्यास ने दधीचि मुनि के लिए तीर्थों को एक ही तीर्थ में मिश्रित किया था इसीलिए इसका नाम मिश्रक तीर्थ पड़ा
आहन तीर्थ
यह निगदु नामक स्थान पर स्थित है महाभारत के वामन पुराण में इसका अधिक वर्णन किया गया है
पावन तीर्थ
यहाँ उपलाना गाँव मे स्थित है पावन तीर्थ में जाकर देवताओं एवं पितरों का तर्पण करने वाला मनुष्य अग्निष्टोम के फल को प्राप्त कर सकता है। यहां के लोग इसे गोपाल मोचन तीर्थ भी कहते है
जंबुनंद तीर्थ
यह करनाल असन्ध रोड पर जबाला मे स्थित है , ऐसा माना जाता है की मनुष्य अगर पाँच रात इस तीर्थ मे ठहरे तो वह विशुद्धात्मा होकर श्रेष्ठ सिद्धियों को प्राप्त करता है।
दशाश्वमेध तीर्थ
यह सालवन नामक जगह पर स्थित है और महाभारत के अनुसार यहाँ स्नान-दान करने से मनुष्य को दस अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है
धनक्षेत्र तीर्थ
यहाँ असंध क्षेत्र मे स्थित है यह तीर्थ स्थल अनेक ऋषि मुनियों की तपस्थली रहा है इस तीर्थ स्थल की पूजा करके आशीर्वाद ले तो उसे धन की प्राप्ति होती है
विमलसर तीर्थ
यह सग्गा नामक स्थान पर है यहां के रहने वाले लोग पिंडदान करते है और शिव एकादशी के दिन यहां बहुत बड़ा मेला लगता है
दशरथ तीर्थ/राघवेंद्र तीर्थ/सूर्य कुंड
यहाँ करनाल के औगंध स्थान पर स्थित है इस तीर्थ का निर्माण अयोध्या के महाराजा दशरथ ने करवाया था। इसी कारण इस तीर्थ को दशरथ तीर्थ के नाम से जाना जाता है। यहां सूर्य ग्रहण व चंद्र ग्रहण के समय बहुत बड़ा मेला लगता है और स्नान करते है
पृथ्वी तीर्थ
यह करनाल के बालु गाँव मे स्थित है इस तीर्थ स्थल पर वाल्मीकि ऋषि ने तपस्या की थी तथा इसी स्थान पर सीता जी ने अपना परित्यक्त जीवन बिताया था। लवकुश का जन्म भी यहीं हुआ था। और बाल्मीकि ऋषि के नाम पर ही इस गाँव का नाम बालू पड़ा है।
पराशर तीर्थ
यह करनाल के बहलोलपुर गाँव मे स्थित है इस तीर्थ स्थल का नाम महृषि पराशर के नाम पर रखा गया ये यहां बचपन से ही वेदाभ्यास करते थे और ये महाभारत के रचयिता वेद व्यास के पिता है
दक्षेश्वर तीर्थ/डाचर व्यास स्थली
यह तीर्थ स्थल बस्तली गाँव मे है जैसा कि नाम से पता चलता है कि यह तीर्थ स्थल महृषि व्यास से सम्बंधित है कुछ दिनों के महृषि व्यास यहां आकर रुके थे
गौतम ऋषि/ गवेन्द्र तीर्थ
यह गोन्दर नामक स्थान पर है इस तीर्थ का सम्बन्ध गौतम ऋषि से है। महर्षि गौतम की गणना सप्तर्षियों में होती है। इनका उल्लेख महाभारत और रामायण में हुआ है।
ब्रह्म तीर्थ
यह सावन्थ नामक जगह पर स्थित है और महाभारत युद्ध के समय बलराम ने इस तीर्थ की यात्रा की थी
फल्गु तीर्थ
यह करनाल के फफड़ाना गाँव मे है यहां भगवान विष्णु स्वयं फल्गु का अवतार धारण किया था सुर्य ग्रहण के अवसर पर यहां स्नान किया जाता है
अंजनी तीर्थ
यहाँ अंजनथली नामक स्थान पर स्थित है यहां पर हनुमान की माता अंजनी ने तपस्या की थी
कौशिकी तीर्थ
यह कोयर मे स्थित है और यह कौशिकी नदी के किनारे स्थित है तभी इस तीर्थ का नाम कौशिकी तीर्थ रखा गया है इसमें महिलाओं व पुरुषों के स्नान के लिए अलग अलग घाट बने हुए है
अक्षयवट तीर्थ
यह बड़थलइस नामक स्थान पर है महाभारत, अग्निपुराण, पदमपुराण, वायुपुराण और ब्रह्मपुराण आदि पुराणो का जिक्र इस तीर्थ स्थान पर किया गया और पितरो द्वारा दिया गया दान अक्षय होता है
प्रोक्षिणी तीर्थ
यह पत्नपुरी गाँव मे स्थित है इस तीर्थ स्थान पर एक गोसाई बाबा की समाधि है और ऐसा माना जाता है कि पशुओं को इस तीर्थ स्थल में स्नान करवाने से वे पुनः दूध देना शुरू कर देती है
चुच्चुकारण्र्डव तीर्थ
यह चोरकारसाइस गाँव मे स्थित है इस तीर्थ स्थान के पास एक मंदिर है जहां नाग साधुओं की समाधि है और प्राचीन काल से ही पता चलता है यह स्थल नाग साधुओं की तपस्थली रहा होगा
सोम तीर्थ
या समानाबाहु नामक जगह अपर स्थित है इस तीर्थ में स्नान करने से चंद्रमा को व्याधि से मुक्ति प्राप्त हुई और सोम तीर्थ की संज्ञा प्राप्त हुई
सुदिन व नर्वदा तीर्थ
यह खेड़ा नामक किले पर स्थित है जो लगभग 15 एकड़ में फैला हुआ है
ब्रह्म तीर्थ
यह करनाल के रसालवा गाँव मे स्थित है इसका तीर्थ स्थल का सम्बंध भगवान ब्रह्मा से है भगवान शिव ने उन्हें इस स्थाम पर चार लिंगों की स्थापना करने का आदेश दिया था जिसमे एक है यह तीर्थ स्थल है
विष्णुहृद (विष्णुपाद) वामनक तीर्थ
यह बोड़श्यामइस नामक जगह पर है इस तीर्थ स्थल पर भगवान विष्णु ने वामन का अवतार धारण करके तीन पद पृथ्वी मांगी थी और उसका मानमर्दन किया था तब से यह तीर्थ स्थल विष्णु के नाम से प्रसिद्व है
सूर्य तीर्थ
यह भी बोड़श्याम नामक जगह पर है इसे सूर्य देव तीर्थ भी कहा जाता है इस तीर्थ स्थल में स्नान करने से व्यक्ति सूर्य लोक के समान माना जाता है
कोटि तीर्थ
यह भी बोड़श्यामइस नामक जगह पर है इस तीर्थ का सम्बंध भगवान शिव से है और यह ज्येष्ठश्रम तीर्थ के पास स्थित है
अन्य करनाल के तीर्थ स्थल/धार्मिक स्थल
ज्येष्ठाश्रम तीर्थ | बोड़श्याम |
जमदग्नि तीर्थ | जलमाना |
त्रिपुरारी तीर्थ | तिगड़ी |
पंचदेव तीर्थ | पाढा |
कोटि तीर्थ व करोड़ी तीर्थ | कूरनल |
जरासंध का टीला | असंध |
त्रिगुणानंद तीर्थ | गुनियाना |
आशा करता हु मेरे द्वारा दी गई जानकारी करनाल के तीर्थ स्थल/धार्मिक स्थल से आप संतुष्ट होंगे जिलानुसार तीर्थ व धार्मिक स्थल देखने के लिए जुड़िये हमरे साथ