प्रिय पाठकों, आज हम पढ़ने जा रहे है, HTET/CTET बाके सम्बंधित लेख बाल विकास एक नजर मे ( Child Development at a Glance) के बारे में, इससे सम्बंधित HSSC, SSC, UPSC, HTET/CTET आदि किसी भी एग्जाम में ये प्रश्न उत्तर पूछे जाते है, इसीलिए हम आपको इसके बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देंगे, अगर बाल विकास एक नजर मे ( Child Development at a Glance) से संबंधित कोई जानकारी आपके पास है तो आप हमे कॉमेंट कर सकते है
Child Development at a Glance
यह एक निरंतर प्रक्रिया है जो समय के अनुसार वृद्धावस्था तक बदलती रहती है बाल अवस्था से लेकर वृद्धावस्था तक मनुष्य के अंदर बहुत सारे परिवतन आते है जिसकी मनुष्य कल्पना भी नही कर सकता जैसे आर्थिक, मानसिक व सामाजिक परिवर्तन, इन सभी का अध्ययन करना ही बाल विकास कहा जाता है तो आइए पढ़ते है बाल विकास एक नजर में के बारे विस्तारपूर्वक जानकारी
इसके अध्ययन करने के लिये बाल विकास व शिक्षाशास्त्र को निम्न भागो बांटा जा सकता है
बाल विकास व शिक्षाशास्त्र
मानसिक विकास
इसमे बच्चे के जन्म होने के बाद क्रियाओं के आधार पर मानसिक विकास का अध्ययन किया जाता है जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है वैसे वैसे उसमें कई प्रकार के बदलाव आते है
शारीरिक विकास
इसमे भ्रूणावस्था से लेकर प्रौढ़ावस्था तक शारीरिक विकास का अध्ययन किया जाता है
सामाजिक विकास
इसमे समाज के व्यवहार के आधार पर अध्ययन किया जाता है लोगों के प्रति प्यार, गुस्सा करना और व व्यवहार आदि का विकास किया जाता है
भाषा विकास
इसमे बच्चे का जन्म होने के बाद कई तरह की भाषा का प्रयोग करता है सबसे पहले बच्चा बोलने के लिए व्यंजनों का प्रयोग करता है फिर धीरे धीरे वह शब्दो का उच्चारण कर पाता है
बाल विकास के सिद्धांत
- विकास में भिन्नता का सिद्धांत
- व्यक्तिगत भिन्नता का सिद्धान्त
- निरन्तरता या सतत विकास का सिद्धांत
- दिशा का सिद्धांत
- परस्पर सम्बन्ध या सहसम्बन्ध का सिद्धांत
- सामान्य से विशिष्ट के विकास का सिद्धांत
- बाल विकास के एकीकरण का सिद्धांत
- समान प्रतिमान का सिद्धांत
- वंशानुक्रम व वातावरण का सिद्धांत
बाल विकास की मुख्य अवस्थाएं
बाल विकास की मुख्य अवस्थाओ को तीन प्रकार मे विभाजित किया गया है
- शैशवावस्था ( जन्म से 5 वर्ष तक)
- बाल्यावस्था ( 6 से 12 वर्षों तक)
- किशोरावस्था (13 से 18 वर्षों तक)
शैशवावस्था
सीखने का आदर्श काल
भावी जीवन की आधारशिला
अनुकरण द्वारा सीखने की प्रक्रिया
तीव्रता से शारीरिक विकास की अवस्था
क्षणिक संवेग की अवस्था
बाल्यावस्था
आरम्भिक विद्यालय की आयु
वैचारिक क्रिया की अवस्था समहू की आयु की अवस्था
निर्माण काल
सामाजिकरण का काल
मूर्त चिंतन की अवस्था
अमूर्त चिन्तन के आरंभ का काल
बाल्यवस्था तीव्र शारीरिक क्रियाशीलता अभिवृद्धि का काल है
किशोरावस्था
अमूर्त चिंतन की अवस्था
जीवन की सबसे कठिन काल
उलझन, तनाव व समस्याओं की अवस्था
स्वर्ण काल, जो बालक को परिपक्वता की ओर ले जाता है
सवेंगात्मक परिवर्तन की अवस्था
तार्किक चिंतन की अवस्था
उथल पुथल की अवस्था
संक्रमण काल
ऐज ऑफ ब्यूटी आदि
बाल विकास की अवस्थाओ के प्रकार
यहां हम बाल विकास की अवस्थाओं के बारे में बात करेंगे जहां पर कुछ वैज्ञनिकों ने अपने हिसाब से बाल विकास की विभाजित किया है तो आइये पढ़ते है
शैले के अनुसार विकास की अवस्थाएं
शैशवावस्था : 0 से 5 वर्ष तक
बाल्यावस्था : 6 से 12 वर्ष तक
किशोरावस्था : 13 से 18 वर्ष तक
कॉलसनिक के अनुसार बाल विकास की अवस्थाएं
भ्रूणावस्था : जन्म से पहले की अवस्था
शैशवावस्था : जन्म से 4 सप्ताह तक
आरम्भिक अवस्था : 1 माह से 15 माह तक
उत्तर शैशवावस्था : 15 माह से 30 माह तक
पूर्व बाल्यावस्था : 2 से 5 वर्ष तक
मध्य बाल्यावस्था : 6 से 9 वर्ष तक
उत्तर बाल्यावस्था : 9 से 12 वर्ष तक
किशोरावस्था : 12 से 21 वर्ष रक
हरलॉक के अनुसार विकास की अवस्थाएं
गर्भावस्था : गर्भधारण से जन्म तक का काल।
नवजात अवस्था : जन्म से 14 दिन तक।
शैशवावस्था : 14 दिन से 2 वर्ष तक का काल
बाल्यावस्था : 2 वर्ष से 11 वर्ष
किशोरावस्था : 11 वर्ष से 21 वर्ष
रॉस के अनुसार विकास की अवस्थाएं
शैशवावस्था : 1 से 3 वर्ष तक का काल
पूर्व बाल्यावस्था : 3 वर्ष से 6 वर्ष
उत्तर बाल्यावस्था : 6 वर्ष से 12 वर्ष
किशोरावस्था : 12 वर्ष से 18 वर्ष
जोन्स के अनुसार विकास की अवस्थाएं
शैशवावस्था : जन्म से 5 वर्ष तक
बाल्यावस्था : 5 से 12 वर्ष
किशोरावस्था : 12 से 18 वर्ष
बल विकास की अवस्थायें सम्बन्धी रोचक तथ्य
विश्रामावस्था : जन्म के 10 दिन से 14 दिन तक
ज्ञानेन्द्रियो व अंगों द्वारा सीखने की आयु : जन्म से 2 वर्ष
स्वार्थी व सवेंदनशील की अवस्था : जन्म से 2 वर्ष
खिलौनों की आयु : 2.5 वर्ष से 5 वर्ष तक ( पूर्व बाल्यावस्था)
प्रतिकारात्मक व विवेचना रहित विचारों की अवस्थ : 2 से 7 वर्ष
अनुकरण सीखने की प्रक्रिया : 2 से 7 वर्ष
नकारात्मक अवस्था : 11 से 13 वर्ष
ओवरलैप्पिंग काल : 13 से 16 वर्ष तक
बाल विकास के कारक
बाल विकास को प्रभावित करने वाले कारक 2 प्रकार के होते है
- आंतिरक
- बाह्य
आंतरिक कारक
- वंशानुगत कारक
- शारीरिक कारक
- बुद्धि का विकास
- संवेगात्मक कारक
- मानसिक कारक
- सामाजिक प्रकृति
बाह्य कारक
- भौतिक वातावरण
- सामाजिक व आर्थिक स्थिति
- गर्भावस्था के दौरान माता का स्वास्थ्य व रखरखाव
बाल विकास एक नजर मे
देखे बाल विकास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रिय दोस्तो, हम उम्मीद करते है कि हमारे द्वारा लिखा गया यह लेख बाल विकास एक नजर मे ( Child Development at a Glance) आपको जरूर पसन्द आया होगा, इससे सम्बंधित HTET व CTET की सारी जानकारी हम आपको समय समय आने वाले अगले लेख में बताते रहंगे