प्रिय पाठकों, आज हम आपके लिए लेकर आये है HTET/CTET से सम्बंधित अधिगम के सिद्धांत व प्रभावित करने वाले कारक (Principles of Learning and Influencing Factors) के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी, इसमे 4 से 5 प्रश्न आपके HETT/CTET व TET से सम्बंधित एग्जाम में पूछे जाते है तो आइए पढ़ते है अधिगम के सिद्धांत व प्रभावित करने वाले कारक (Principles of Learning and Influencing Factors) के बारे में विस्तारपूर्वक रोचक जानकारी
Principles of Learning and Influencing Factors
प्रिय दोस्तो, यहाँ हम अधिगम की परिभाषा, प्रक्रिया, विशेषता व उसको प्रभावित करने वाले कारक तथा अधिगम के सिद्धांत व अधिगम स्थानांतरण के सिद्धांत के बारे में पढंगे, तो आइए पढ़ते अधिगम के सिद्धांत के बारे में विस्तारपूर्वक तथ्य
अधिगम
शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में अधिगम एक महत्वपूर्ण विषय है अधिगम का अर्थ होता है सीखना या सीखने की प्रक्रिया तथा यह निरंतर चलने वाली सार्वभौमिक प्रक्रिया है अगर वैज्ञानिक ढंग से अधिगम का अर्थ है व्यवहार में परिवर्तन और यह परिवर्तन अनुभव द्वारा प्राप्त होता है
अधिगम एक मानसिक प्रक्रिया है जिसे मानव जानबूझकर अपनाता है और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है छोटा बच्चा जन्म से ही सीखने की क्रिया को अपनाता है जैसे बच्चे का दूध पीना उसके पश्चात वह ध्वनि को महसूस करता है फिर वह धीरे धीरे वह छोटी चीजो को परखता है फिर वह अपने जान पहचान या रिश्तदारों को पहचानता है उनके बाद चलना घुटने के बल दौड़ना, घूमना और विद्यालय जाना आदि ये सारी चीजें बच्चा जन्म से सीखता है इस प्रक्रिया को हम सीखने की निरंतर प्रक्रिया कहते है इसे हम चार प्रकार से विभाजित किया जा सकता है
- सीखने वाले की अभिप्रेरणा
- बहु अनुक्रिया करना
- पुनर्बलन
- अभ्यास करना
डिशेल के अनुसार अधिगम की 5 क्रियाएं होती है
- अभिप्रेरित व्यक्ति
- मार्ग के बाधाएं
- विभिन्न अनुक्रिया
- सही अनुक्रिया
- उद्देश्य की प्राप्ति
अधिगम की परिभाषाएं
स्किनर के अनुसार: व्यवहार मे उत्तरोतर अनुकूलन की प्रक्रिया ही अधिगम है
वुडवर्थ के अनुसार: नवीन ज्ञान व अनुक्रियाओ को प्राप्त करना ही अधिगम की प्रक्रिया है
गेट्स के अनुसार: अनुभव व प्रशिक्षण द्वारा व्यवहार मे संशोधन ही अधिगम है
क्रो एण्ड क्रो के अनुसार: यह आदतों, ज्ञान, अभिवृतयो का अर्जन है
गिलफोर्ड के अनुसार: व्यवहार के कारण व्यवहार परिवर्तन अधिगम है
पील के अनुसार: अधिगम व्यक्ति मे एक परिवर्तन है जो उसके ववातावरण के परिवर्तनों के अनुसरण मे होता है
पावलव के अनुसार: अनुकूलित अनुक्रिया के परिणामस्वरूप आदत का निर्माण ही अधिगम है
अधिगम की विशेषताए
यह एक निरंतर प्रक्रिया है
यह सार्वभौमिक प्रक्रिया है
यह जीवन पर्यन्त चलने वाली प्रक्रिया है
सीखना व्यवहार मे परिवर्तन है
सीखने की प्रक्रिया उद्देश्यपूर्ण व लक्ष्य निधारित प्रक्रिया है
यह व्यक्ति के सम्पूर्ण विकास मे सहायक होता है
सीखने का संबंध अनुभवों की नवीन व्यवस्था से होता है
सीखना वातावरण व क्रियाशील की उपज है
यह विधार्थी के उचित वृद्धि व विकास मे सहायक होती है
अधिगम के द्वारा व्यक्ति के व्यवहार मे अपेक्षित परिवर्तन लाए जा सकते है
अधिगम के सिद्धांत
प्रयास व भूल का सिद्धांत
नाम: इसे आवृति का सिद्धांत, प्रयत्न व भूल का सिद्धांत, उद्दीपन व अनुक्रिया का सिद्धांत व S-R थोरी का सिद्धांत भी कहते है
प्रवर्तक: ई. एल. थार्नडाइक, अमेरिका
प्रयोग: भूखी बिल्ली पर प्रयोग किया
प्रभाव: इसमे अभ्यास द्वारा सीखने पर जोर दिया और अभ्यास द्वारा किसी भी व्यक्ति को किसी भी कार्य मे निपुण बनाया जा सकता है इस सिद्धांत से बच्चों मे धैर्य, परिश्रम के गुणों का विकास होता है इसे सीखने के लिए थार्नडाइक ने दो भागों मे बांटा है
- मुख्य नियम
- तत्परता का नियम
- अभ्यास का नियम
- प्रभाव का नियम
- गौण नियम
- अनुक्रिया का नियम
- मानसिक स्थिति का नियम
- समानता का नियम
- आंशिक क्रिया का नियम
- परिवर्तन का नियम
अंतर्दृष्टि अधिगम का सिद्धांत
नाम: इसे सूझ का सिद्धांत भी कहा जाता है यह सिद्धांत गैसटालट संप्रदाय पर आधारित है
प्रवर्तक: कोहलर व वर्दिमर, जर्मनी
प्रयोग: कोहलर ने वनमानुष सुल्तान नामक चिमपाँजी पर प्रयोग किया
प्रभाव: इससे बालकों की वृद्धि, कल्पना, ट्रक शक्ति का विकास होगा, तथा स्वयं खोज करके ज्ञान का अर्जन करने के लिए प्रोत्साहित करता है यह सिद्धांत रचनात्मक कार्यों के लिए बहुत उपयोगी है
अनुकूलित अनुक्रिया का सिद्धांत
नाम: इसे प्राचीन अनुबंधन व शास्त्रीय अनुबंधन का सिद्धांत भी कहा जाता है
प्रवर्तक: इवान पत्रोविच पावलोव
प्रयोग: पावलोव ने कुत्ते के भोजन पर जोर दिया
प्रभाव: इस सिद्धांत से संबंध प्रतिवर्त विधि का जन्म हुआ, मनोवृतियों का निर्माण व बुरी आदतों को त्यागना, चोट बच्चों को वस्तुए दिखाकर शब्दों का ज्ञान करवाना और अच्छी आदतों का निर्माण होना
प्रबलन का सिद्धांत
नाम: न्यूनतम आवश्यकता का सिद्धांत, हल का प्रबलन सिद्धांत व व्यवस्थित व्यवहार का सिद्धांत भी कहा जाता है
प्रवर्तक: क्लार्क एल हल, अमेरिका
प्रयोग: चूहे पर बल दिया
प्रभाव: यह व्यक्तिगत शिक्षा पर बल देता है, बालकों को पुनरावृति करने पर जोर देना और आदत शक्ति व अभिप्रेरणा पर बल देना
सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत
नाम: इसे क्रिया प्रसूत व नैमितिक अनुबंधन का सिद्धांत भी कहा जाता है
प्रवर्तक: बुरहस फ्रेडरिक स्किनर, अमरीका
प्रयोग: स्किनर ने चूहे व कबूतर पर प्रयोग किया
प्रभाव: व्यवहार को अपेक्षित रूप देना, मानस्तापि बालकों का प्रशिक्षण करना, घनात्मक व ऋणात्मक प्रबलक द्वारा अनुक्रियाएं करना और पुनर्बलन की अधिगम शिक्षण प्रक्रिया मे उपयोगिता लाना
प्रेक्षणात्मक अधिगम का सिद्धांत
नाम: इसे बंदूरा का सामाजिक अधिगम का सीदाँत भी कहा जाता है
प्रवर्तक: बंदूरा
प्रयोग: सामाजिक अधिगम को समझने के लिए एक फिल्म का प्रयोग किया
प्रभाव: सामाजिक व्यवहारों का प्रेक्षण करना, व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देना, दूसरों को भावनाओ को परखना
अव्यक्त अधिगम का सिद्धांत
नाम: इसे चिह्न आकार, प्रतीक अधिगम, चिह्न पूर्णाकारवाद संभावना और संज्ञात्मक का सिद्धांत व सप्रयोजन व्यवहारवाद का सिद्धांत भी कहा जाता है
प्रवर्तक: एडवर्ड टोलमैन
प्रयोग: चूहे पर
प्रभाव: सीखना ज्ञानात्मक मानचित्र बनाना है
प्रतिस्थापन का सिद्धांत
नाम: इसे स्थानापन्न व समीनता कक सिद्धान्त भी कहा जाता है
प्रवर्तक: एडविन गुथरी
प्रभाव: शिक्षक को उतेजना व अनुक्रिया के मध्य अधिकतम साहचर्य स्थापित कर अधिगम को ओर अधिक प्रभावशाली बनाना
अधिगम का प्राकृतिक दशा का सिद्धांत
नाम: इसे तलस्वरूप व क्षेत्र सिद्धान्त भी कहा जाता है
प्रवर्तक: कूर्ट लेविन, जर्मनी
प्रभाव: व्यवहार पर अधिक जोर दिया, शिक्षकों को छात्रों की योग्यता व शक्ति के अनुसार उद्देश्यों को प्राप्त करना
अन्वेषण का सिद्धांत
प्रवर्तक: जेरोम एस ब्रूनर
प्रभाव: अधिगम के प्रति रुझान पैदा करना और विषय वस्तु को क्रमबद्धता के साथ प्रस्तुत करना
शाब्दिक अधिगम का सिद्धांत
नाम: इसे प्राप्त अधिगम का सिद्धान्त भी कहा जाता है
प्रवर्तक: आसुबोल
प्रभाव: यह महाविद्यालय स्तर के लिए उपयुक्त है
अधिगम सोपानिकी का सिद्धांत
प्रवर्तक: रॉबर्ट गेने
प्रभाव: अधिगम प्रभाव संचयी होता हक़ी गेने के अनुसार अधिगम को 8 प्रकार से विभाजित किया गया है
- संकेत अधिगम
- उद्दीपक अनुक्रिया
- ग्यात्मक शृंखलन
- शाब्दिक श्रृंखलन
- अपवर्तय विभेदन
- सम्प्रत्यय अधिगम
- अधिनियम अधिगम
- समस्या समाधान
अधिगम के सिद्धांतों का वर्गीकरण
अधिगम के सिद्धांत को दो प्रकार में विभाजित किया गया है
सम्बन्धवादी सिद्धान्त
इसे व्यवहारवादी या परिधीय अथवा साहचर्य सिद्धान्त भी कहा जाता है इसमें सीखने की क्रिया को उद्दीपक अनुक्रिया के मध्य सम्बन्ध स्पष्ट किया जाता है मनुष्य व पशु पक्षी के व्यवहार पर इसका प्रभाव पड़ता है इसके अंतर्गत पांच अधिगम के सिद्धांत आते है
- प्रत्यन या भूल का सिद्धान्त
- पावलव का सिद्धान्त
- स्किनर का क्रियाप्रसुत अनुबन्धन का सिद्धान्त
- गुथरी का समीनता का सिद्धांत
- पुनबर्लन का सिद्धान्त
संज्ञात्मक सिद्धान्त
यह सिद्धान्त सीखने के प्रक्रिया में उद्देश्य, सूझ और समझ पर बल देता है इसके अंर्तगत भी पांच अधिगम के सिद्धांत आते है
- अंतर्दृष्टि का सिद्धान्त
- चिह्न आकर का अधिगम का सिद्धान्त
- लेविन का क्षेत्र का सिद्धान्त
- बन्दूरा का सामाजिक अधिगम
- गेने का सोपनिका का सिद्धान्त
अधिगम स्थानांतरण
स्थानांतरण का अर्थ होता है एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना, यह हमारे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण भाग है जिसमे हमे नई नई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है एक विषय का सीखना दूसरे विषय के सीखने में कभी तो सहायता मिलती है तो कभी मुश्किलें पैदा करती है इसी प्रभाव को हम अधिगम स्थानान्तरण कहते है
सोरसन के अनुसार: व्यक्ति उस सीमा तक सीखता जब तक एक परिस्थिति से प्राप्त योग्यता दूसरी में सहायता करती हो
पीटरसन के अनुसार: किसी विचार का नए क्षेत्र में विनियोग होता है
अधिगम स्थानांतरण के प्रकार
अधिगम के स्थानांतरण को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जाता है
घनात्मक स्थानान्तरण
इसे सकारात्मक स्थानान्तरण भी कहते है पूर्व में सीखा गया ज्ञान नए ज्ञान को सीखने में काफी मदद करता है
ऋणात्मक स्थानान्तरण
इसे निषेधात्मक स्थानान्तरण भी कहते है पूर्व में सीखा गया ज्ञान नए ज्ञान को सीखने में कई बार काफी बाधा उत्पन्न करता है
शून्य स्थानांतरण
किसी भी कार्य का ज्ञान अन्य कार्यों पर उसका ककी प्रभाव नही पड़ता उसे शून्य स्थानान्तरण कहते है
एकपक्षीय स्थानांतरण
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है उसके दैनिक जीवन कोई न कोई कठिनाई आ जाती है जिसके कारण उसे एक अंग से ही काम करना पड़ता है
द्विपक्षीय स्थानान्तरण
इसमे मनुष्य अपने शरीर के दोनों भागों से काम करवाता है जिसका एक भाग का दूसरे भाग पर कोई प्रभाव नही पड़ता उसे द्विपक्षीय स्थानांतरण कहते है
उधर्व स्थानांतरण
यह घनात्मक व ऋणात्मक दोनों रूपो में हो सकता है
क्षैतिज स्थानांतरण
जब किसी परिस्थिति में अर्जित ज्ञान, अनुभव व परीक्षण का उपयोग उसी प्रकार की परिस्थिति में किया जाता है तो उसे क्षैतिज स्थानांतरण कहते है
अधिगम स्थानान्तरण के सिद्धान्त
मानसिक शक्ति का सिद्धान्त
नाम: इसे अनुशासन का सिद्धान्त भी कहा जाता है
प्रवर्तक: फैकल्टी साइक्लोलोजिस्ट्स
विशेष: यख सबसे पुराना सिद्धान्त है इस सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य की कई शक्तियों कक निर्माण होता है जिन्हें अभ्यास द्वारा ही किया जा सकता है
समान तत्वों का सिद्धान्त
नाम : इसे समतात्विक सिद्धान्त भी कहते है
प्रवर्तक: एडवर्ड एल थार्नडाइक
विशेष: यह सिद्धान्त तभी लागू होता है जब दो अधिगम के कुछ तत्व एक दूसरे में विद्यमान हो या सहायक हो
गेस्टाल्ट का सिद्धान्त
प्रवर्तक: मैक्स वर्दीमर व कोफ्फा
विशेष: अधिगम स्थानांतरण के लिए यह सबसे अधिक प्रभावशाली व उपयोगी सिद्धान्त है क्योंकि इसमें समान तत्वों व सामान्यीकरण का समन्वय किया गया है
सामान्यीकरण का सिद्धान्त
नाम: इसे सामान्यीकृत अनुभवों का सिद्धान्त भी कहा जाता है
प्रवर्तक: सी एच जड़
विशेष: इस सिद्धांत के अनुसार जिस सीमा तक अनुभवों का सामान्यीकरण करते है उस सीमा तक उनका स्थानांतरण किया जाता है
द्वितात्विक सिद्धान्त
नाम: इसे दो तत्व का सिद्धान्त भी कहा जाता है
प्रवर्तक: स्पीयर मैन
विशेष: इस सिद्धान्त के अनुसार बुद्धि दो प्रकार की होती है
- सामान्य बुद्धि: इसे G Factor के नाम से भी जाना जाता है यह सभी परिस्थितियों में आवश्यक होती है
- विशिष्ट बुद्धि: इसे S Factor के नाम से जाना जाता है यह केवल विशेष परिस्थितियों में आवश्यक होती है
औपचारिक मानसिकता का सिद्धान्त
प्रवर्तक: गेट्स
विशेष: इसमे मनुष्य की मानसिक शक्तियों का प्रयोग किया जाता है ताकि वे किसी भी परिस्थितियों में कार्य कुशलता पूर्वक कर सके
मूल्य अभिज्ञान का सिद्धान्त
प्रवर्तक: रिगर और बैगले
विशेष: इसमे किस भी ज्ञान को सीखने के लिए मनुष्य को आदर्श का विकास आवश्यक होता है
अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक
बुद्धि
बुद्धि कई परकर की होती है जैसे तीव्र बुद्धि वाले बालक जल्दी सीख जाते है और याद रखने की क्षमता उनमे ज्यादा होती है जबकि मंद बुद्धि वाले बालक उन्हे शीघ्र ही भूल जाते है
स्वास्थ्य व उम्र
सवर्ज के अनुसार सामान्य स्वास्थ्य वाले विधार्थी जल्दी सीखते है जबकि कम स्वास्थ्य वाले या रोगी विद्यार्थियों को सीखने मे समय लगता है
अभिक्षमता
अभिक्षमता एक जन्मजात प्रक्रिया है व्यक्तियों मे अलग अलग प्रकार की क्षमता जन्मजात से होती है जैसे कलात्मक, दार्शनिक, यांत्रिक, वैज्ञानिक आदि, उन्ही के अनुसार ही मनुष्य अधिगम को सीखता है
सीखने की ततपरता
एडवर्ड एल थार्नडाइक के अनुसार यदि हमे किसी कार्य को करने की तत्परता है तो हम उसे शीघ्र ही सीख लेते है लेकिन जोर देकर कोई भी कार्य को नहीं सीखा जा सकता है
अभिवृति व प्रवृति
सक्रिय और आक्रमिक विद्यार्थी जल्दी सीखता है जबकि निष्क्रिय व बेमन सीखने पर उसकी सीखने की गति अत्यंत मंद हो जाती है उससे बार बार दोहराने की जरूरत होती है
परिणाम व प्रगति का ज्ञान
परिणाम का ज्ञान ही सीखने की गति को आगे बढ़ाता है
सीखने की विधि
सीखने के लिए अनेक विधियाँ बताई गई है जैसे: एक बार मे सीखना, बार बार सीखना, रटामारकर सीखना, समझ कर सीखना, विषय वस्तु को विभाजित कर सीखना आदि
अध्यापक की सम्प्रेषण योग्यता
विद्यार्थियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए की अध्यापक मे सीखाने की कितनी योग्यता है और किस तरीके से वह समझा रहा है
अधिगम वक्र
व्यक्ति के सीखने की गति हर वक्त समान नई रहती, कभी वह तेज गति से सीखता है तो कभी वह कम तेज गति से सीखता है उसे हम अधिगम वक्र कहते है
गेट्स के अनुसार: सीखने की क्रिया से होने वाली गति व प्रगति को व्यक्त करता है
स्किनर के अनुसार: अधिगम वक्र के दी गई क्रिया मे उन्नति व अवनति का ब्यौरा है
अधिगम वक्र के प्रकार
सरल रेखीय वक्र: सीखने की क्रिया सदैव समान रहती है
ऋणात्मक वक्र: शुरू मे सीखने की क्रिया तेज होती है बाद मे प्रगति की गति मंद हो जाती है इसे उन्नतोदर वक्र भी कहते है
घनात्मक वक्र: शुरू मे सीखने की प्रगति मंद होती है बाद मे सीखने के क्रिया तेज हो जाती है इसे नतोदर वक्र भी कहते है
मिश्रित वक्र: यह उन्नतोदर वक्र व नतोदर वक्र के मिश्रण है इसमे शुरू मे प्रगति की गति मंद उसके बाद तेज और फिर दोबारा मंद हो जाती है इसे S आकारीय वक्र भी कहते है
अधिगम के सिद्धांत
देखे शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की विधियाँ
प्रिय दोस्तो, हम उम्मीद करते है कि हमारी टीम द्वारा दी गई यह जानकारी अधिगम के सिद्धांत व प्रभावित करने वाले कारक (Principles of Learning and Influencing Factors) सेे आप सन्तुष्ट होंगे, इससे सम्बंधित कोई प्रतिक्रिया या सुझाव देना चाहता है तो हमे कॉमेंट के माध्यम से हमे दे सकता है और इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करे