विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला (The World Deepest Underground Laboratory)

विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला (The World Deepest Underground Laboratory)
विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला (The World Deepest Underground Laboratory)

विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला  (The world deepest underground laboratory)

प्रिय दोस्तों, Help2Youth के माध्यम से आज हम आपके साथ विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला (The World Deepest Underground Laboratory) की जानकारी सांझी करने जा रहे है। चीन ने दुनिया की सबसे गहरी प्रयोगशाला बना कर इतिहास रच दिया क्योंकि अभी तक ऐसा कोई देश नहीं कर पाया है। जमीन की सतह के नीचे स्तिथ होने की वजह से ये प्रयोगशाला चर्चा में है ।चलो इसके बारे में हम विस्तारपूर्वक पढ़ते है और इसकी क्या विशेषता है।

विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला (The world deepest underground laboratory)

चीन ने  दुनिया  की  सबसे  गहरी  प्रयोगशाला  बना दी जो कि जमीन  की  सतह से  2.5 किलोमीटर  नीचे  स्तिथ है।  इसकी गहराई  2400 मीटर है। चीन  के  सिचुआन  में स्थित, यह उत्कृष्ट प्रयोगशाला  मोटी  चटानो  से  घिरी  हुई  है जो  ब्रह्मांड की  किरणों  को  प्रयोगशाला  तक  पहुंचने से  रोकती है और प्रयोगशाला  को  नए कणों  का  पता  लगाने  और भौतिकी खोज में सक्षम बनाती है।

image 1

images 5 1

ये लैब  डार्क मैटर  के  खोज  की  भी अनुमति देती  है, जो ब्रह्मांड के सभी  पदार्थों का  लगभग 85% हिस्सा  माना जाता है।  पहाड़ के  भीतर  होने  के  अपने अनूठे  स्थान  के  कारण, यह  अंतरिक्ष में हो  रही  क्रियाओं  को  पता  लगाने  में  अधिक  सक्षम  है और उपयोगकर्ता  जो  इस  लैब  में काम  करेंगे  वह  सभी  बाहरी हस्तक्षेप  के  बिना  सुरक्षित  रूप  से  खोज  कर सकेंगे।

डीयूआरएफ (DURF) , चीन  जिनपिंग अंडरग्राउंड  लैब  के  दूसरे  चरण  के  हिस्से  में, 330,000 क्यूबिक  मीटर  की कुल कमरे  की  क्षमता का  दावा  करता है। और इसका निर्माण सिंघुआ  विश्वविद्यालय  और  यालोंग  रिवर  हाइड्रोपावर  डेवलपमेंट  कंपनी  लिमिटेड  द्वारा संयुक्त  रूप से किया गया है।

इस  लैब  का  नाम  जिनपिंग  लैब  रखा गया है  यह लैब डार्क मैटर  के खोज  के लिए  बनाई गई है। डार्क मैटर  आज भी हमारे लिए  रहस्य बना  हुआ है माना  जाता है कि पूरी  दुनिया  डार्क मैटर  से  बनी है,  डार्क मैटर  ऐसे पदार्थों  से बना है जो न तो रोशनी को अपनी  ओर  खींचते  हैं और न  ही  उनसे  रोशनी  निकलती है।

वैज्ञानिक  मानते हैं  कि डार्क मैटर  और  डार्क एनर्जी की वजह से ही पूरा  यूनिवर्स  एक  क्रम में  बंधा  हुआ है और  उनका इसके अलावा  यह भी  मानना  है  कि चांद, तारों, सूरज और ग्रहों के बीच  का  तालमेल  भी  डार्क मैटर  की  वजह  से है, क्योंकि  पूरे यूनिवर्स  में  इतना  गुरुत्वाकर्षण है ही नहीं  कि वो सभी ग्रहों, तारों, सूरज, चांद को एक ऑर्बिट में बांध सकें।

परियोजना का नाम : चीन जिनपिंग अंडरग्राउंड प्रयोगशाला
मालिक               : यालोंग रिवर हाइड्रोपावर डेवलपमेंट कंपनी

संचालन एजेंसी.     : सिंघुआ विश्वविद्यालय
समापन वर्ष         : खुदाई 2010 में समाप्त हुई, दूसरा चरण     2017 में पूरा हुआ
परियोजना स्थान    : जिनपिंग पर्वत, सिचुआन, चीन
क्षेत्र।               :  200,000-300,000 m^3 प्रयोग     करने योग्य स्थान प्रदान करता है

विश्व की सबसे गहरी भूमिगत प्रयोगशाला (The World Deepest Underground Laboratory)

5 4 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

2 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments