प्यारे दोस्तों, हरियाणा का हिसार जिला 14 वीं शताब्दी में मुगल शासक फिरोजशाह तुगलक का बसाया हुआ शहर है। आज हम इस लेख में बात करने वाले है हरियाणा के जिले हिसार के किले (Ancient Fort of Hisar) के बारे में।
हिसार के किले (Ancient Fort of Hisar) जो हमें प्राचीन हरियाणा के इतिहास के दर्शन करवाते है। हिसार के किले (Ancient Fort of Hisar) जिन्होंने अनेक युद्ध व आक्रमण देखें है, जो हमें तत्कालीन राजाओं के शासन तथा जीवनशैली के बारे में हमें अवगत करवाते है।
तो चलिए बिना समय गवाये पढ़ते है हिसार के किले (Ancient Fort of Hisar) के बारे में:
हिसार के किले (Fort of Hisar)
हिसार-ए-फिरोजा
हिसार- ए-फिरोजा का निर्माण सन् 1354 में फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था। फिरोजशाह तुगलक एक अच्छे वास्तुकार थे उन्होंने अपनी देखरेख में हिसार-ए-फिरोजा के निर्माण करवाया था। इस किले के निर्माण में लगभग ढाई वर्ष का समय लगा था। इस किले में बना गुजरी महल हिसार-ए-फिरोजा की सुंदरता में चार चाँद लगाता है।
हिसार-ए-फिरोजा के निर्माण से पहले यहाँ दो गाँव हुआ करते थे – बड़ा लारस व छोटा लारस। बड़े लारस गाँव में 50 चारागाह तथा छोटे लारस में 40 चारागाह थी। हिसार-ए-फिरोजा का निर्माण बड़ा लारस में करवाया गया। ऐसा माना जाता है कि फिरोजशाह को यह जगह इतनी पसंद थी कि वो इस नगर को इस्लामिक धार्मिक नगरी बनाना चाहते थे।
हिसार-ए-फिरोजा में बना गुजरी महल इसकी सबसे सुंदर इमारतों में से एक है।
बाद में बादशाह अकबर के काल में इसके नाम से फिरोजा को हटा कर केवल हिसार रखा गया।
हांसी का किला
हांसी का किला जिसे पृथिराज चौहान का किला और असिगढ़ का दुर्ग (किला) के नाम से भी जाना जाता है। इस किले का निर्माण हिसार जिले के हांसी शहर में 12 वीं सदी में पृथिराज चौहान ने करवाया था। इस किले के निर्माण का मुख्य उद्देश्य मुगल शासको द्वारा किए जाने वाले आक्रमणों से रक्षा करना करना था।
वर्गाकार इस किले चारदीवार 37 फुट चौड़ी तथा लगभग 52 ऊंची है। यह किला उत्तरी भारत के सबसे सुरक्षित तथा मजबूत किलो में से एक था।
इस किले की मजबूत दिवारे भी इस किले को मुगलों के अधीन होने से नहीं बचा सकी। मुगलों के अधीनता के उपरांत असिगढ़ के किले में एक मस्जिद का निर्माण भी करवाया गया। अनेक युद्धों को झेलने के बाद इस किले को भारी नुकसान हुआ।
14 वीं सदी में हांसी के इस भव्य दुर्ग को हिसार-ए-फिरोजा के साथ एक सुरंग की सहायता से जोड़ा गया।
हांसी के किले को 1798 में जॉर्ज थॉमस द्वारा फिर से बनवाया गया। लेकिन युद्धों का दौर अब भी चलता रहा ओर अंग्रेजों ने जॉर्ज थॉमस को पराजित कर हांसी के इस विशाल किले को अपने अधीन कर लिया।
अंत में सन् 1937 में इस किले को भारतीय पुरातात्विक विभाग के अधीन किया गया। आज यह प्राचीन किला लगभग खण्डर में तब्दील हो चुका है।